ना समझे हम,ना ही जाने

ना समझे हम ,ना ही जाने
=================
यादें पुरानी अपने पन की ,
जब हमको आ जाती हैं ।
बहुत भुलाने से भी न जाएँ ,
दिल पर यूं छा जाती हैं ।।
हाथ मिलाना ,गले लगाना ,
हमसे ना ये गए निभाए ।
अब रोती हैं अन्खिया प्यासी ,
जब थे वे क्यों ?लगे पराये ।।
तन्हाई में यादों से बोझिल-
आँखे भर आती हैं ----
गीत पुराने ,बने तराने ,
याद किये कब ?हम नहिं जाने ।
वो दूनियाँ कितनी प्यारी थी !
ना समझे हम ,ना ही जाने ।।
गीत सुरीले गाकर कोयल ,
छत से अक्सर उड़ जाती हैं-----
बहुत लगाया खुद पर अंकुश ,
फिर भी ना हम भूले वो ।
जाग जाग कर रात बिताना ,
बिन सावन के झूले   वो ।।
आज "अनुज"आंशु बन यादें,
पल-पल ,हर पल तड़पाती हैं-----
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज "
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश )
9458689065


एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ