बदलाव मंच को मेरा सादर नमन
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जिसमें सभी का हित है जो कल्याणकारी है वही साहित्य है। सम्माननीय मंच के सानिध्य में पटल पर प्रेषित सभी रचनाएं श्रेष्ठ होती हैं और एक दूसरे से बहुत कुछ सीखने व पढ़ने को मिलता है सभी गुणींजनों को मेरा नमस्कार
जलने दो चिरागों को इन
बुझा के खुश कौन यहां है ?
जरा हंसा दो उसको भी
किसी को रुला के खुश कौन यहां है?
जो गिर रहें हैं, संभालों उनको भी
किसी को मिटा के खुश कौन यहां है?
फिर बढ़ाएं हाथ रोशनी के वास्ते
रहकर अंधेरों में भला खुश कौन यहां है?
डॉ . अनीता तिवारी 'अनु'
Badlavmanch
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