सपने

शीर्षक - सपने

सपने उनके भी होते हैं
जिनके अम्बक नहीं होते
वो दीदार करते हैं
आत्मचक्षु के ज़रिये।

सपने उनके भी होते हैं
जिनके हस्त नहीं होते 
वो कर्म करते हैं
आत्मिच्छा के ज़रिये।

सपने उनके भी होते हैं
जिनके पग नहीं होते
वो सफ़र तय करते हैं
आत्मविश्वास के ज़रिये।

सपने उनके भी होते हैं
जिनके लकीरें नहीं होती
वो भाग्य सृजन करते हैं
आत्ममन के ज़रिये।

©® जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय "जीत" मिर्ज़ापुर-प्रयागराज, उत्तर प्रदेश😊

Badlavmanch

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