व्यर्थ की चिंता

लघुकथा 
      व्यर्थ की चिंता
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     अभी अभी ज्योत्स्ना की आनन्द से शादी हुये मात्र एक साल ही पुरे हुये थे कि एक दिन उसकी नजर आनन्द के मैट्रिक व बी.ए. के सर्टिफ़िकेट पर पड़ी। सर्टिफ़िकेट में दिये गये जन्म दिन को देखने पर उसे पता चला कि आनन्द हमसे 12 साल बड़ा है , उम्र का इतना बड़ा अंतर ।
     ज्योत्स्ना मन हीं मन सोचने लगी कि भैया हमको बताये थे कि तुम्हारा दूल्हा आनन्द तुमसे सात आठ साल बड़ा हैं पर ये तो मेरे भैया के कहे अनुसार चार साल के और ज्यादा हीं निकले। ये तो मेरे साथ अच्छी बात नहीं हुयी। अच्छा तो इस बात के बारे में मैं एकदिन भैया से बात करूंगी।
      सर्टिफ़िकेट को देखने के बाद से ज्योत्स्ना मन हीं मन चिंता में रहने लगी। उसे यह चिंता खाये जा रही थी कि मेरा पति हमसे 12 साल बड़ा हैं।
       इस घटना के बाद से ज्योत्स्ना का पति जब भी दस बारह दिनों के बाद अपने घर पर आता तब ज्योत्स्ना अपने पति से भर मुँह बात नहीं करती, वह आनन्द से उदास रहती।
    एक दिन उदास देखकर उसका पति आनन्द बोला कि आजकल मैं देख रहा हूँ कि पिछ्ले दो तीन माह से तुम कुछ कुछ उदास व परेशान लग रही हो, हमसे रूठी रूठी लग रही हो। बोलो कुछ बात है क्या?  इस बेरुखी की वजह बता सकती हो तो बताओ पर मेरा दिल नहीं दुखाओ,जरा करीब आओ।
     ज्योत्स्ना ने आनन्द की ओर देखते हुये और आनन्द कि ओर मुँह ऐंठते हुये कहा कि जाईये मैं आपसे बात नहीं करती,क्योंकि आप बहुत झूठे हैं। 
    आनन्द ने ज्योत्स्ना  को मनाते हुये और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि आखिर क्या बात है जो आप हमसे नाराज हैं।
ज्योत्स्ना ने आनन्द से मुस्कुराते हुये कहा कि आखिर एक बात हम आपसे पूछें,कहीं आप बुरा तो नहीं मानेंगे।
     आनन्द ने ज्योत्स्ना की ओर अपनी मुस्कान बिखेरते हुये पूछा कि आप हमसे एक बात नहीं चार बात पूछिये।ज्योत्स्ना ने आनन्द की आँखों में अपना आँख डालते हुये कहा कि मेरे भैया ने मुझे आपके बारे में बताया था कि आप हमसे सात आठ साल बड़े हैं पर आपके सर्टिफ़िकेट देखने के बाद पता लगा कि आप हमसे बारह साल बड़े है आखिर इतना बड़ा अंतर क्यों।
      आनन्द ने कहा कि मैनें आपके भैया को अपनी उम्र के बारे में कभी नहीं बताया है कि हम इतने साल के हैं। उन्होनें हमें देखने के बाद अनुमान के आधार पर तुम्हें बताया होगा कि हम तुमसे सात आठ साल बड़े हैं।
       एक बात मेरी गौर से सुनो और यह एक कटु सत्य भी हैं कि आज से हजारों साल पहले से ही लड़कियों की शादी अपने से डेढ़ गुना उम्र के लड़कों से होती थी। मेरे बड़े पापा की शादी जब बड़ी माँ से हुयी थी तब मेरे बड़े पापा पन्द्रह साल बड़े थे, मेरी माँ मेरे पापा से आठ साल छोटी है और इतना ही नहीं मेरी छोटी माँ छोटे पापा से बारह साल की छोटी है, इसलिये इन सभी बातों के लिये व्यर्थ का परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसलिये जिन्दगी में निगेटिव बात सोचने की जरुरत नहीं है, सकारात्मक सोचने की जरूरत है। जिन्दगी को पीछे देखने से क्या फायदा,आगे देखने की  जरूरत है।
       आज मैं आपको एक वचन देता हूँ कि आपको जिन्दगी में किसी तरह कि कोई परेशानी व दिक्कत नहीं होने दूँगा ,चाहे वह दिक्कत,शारीरिक , मानसिक,भौतिक या आर्थिक हीं क्यों नहीं हो।
   इसलिये व्यर्थ की चिंता नहीं कीजिए और परेशान मत होइये । जिन्दगी को सदैव आगे देखिये।
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           अरविन्द अकेला

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