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🌾भोजपुरी 🌾
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कहाँ ले बताइ उनके जीवनी महान बा
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तुलसी के कथा सब जानत जहान बा ।
कहाँ ले बताई उनके जीवनी महान बा।
बांदा जिला में राजापुर बाटे गांव हो,
रहे एक ब्राह्मण आत्माराम दुबे नाव हो।
नारी हुलसी के संग सुख के बिहान बा।कहाँ0।
संवत1554श्रावण शुक्ला के दिनवा,
मूल में जनम लिहले तुलसी नगीनवा।
पुरा भइल माई बाप के अरमान बा।।कहाँ0।।
तुलसी जन्मते राम राम शब्द कइले ,
सोची असगुन माई बाप डेरइले।
आफत में परल सबही के तब परान बा।।कहाँ0।।
कुछ दिन बाद हुलसी छोडी दिहली दुनिया ,
तुलसी के पालन पोषण कइली दासी चुनीया।
पांच वर्ष बाद छूटल चुनीयो के प्रान बा।।कहाँ0।।
संवत 1583 गुरूवार रहे दिनवा ,
शुक्ल 13 रहे जेष्ट के महीनवा ।
शादी रत्नावली से भइल कन्यादान बा।कहाँ0।
गइली रत्नावली मायके भाई के साथ में,
बावला हो गइले तुलसी नारी जज्बात में ।
गइले ससुराल आधी रात सुनसान बा ।कहाँ0।।
कइली धिक्कार नारी आँख लेइ नीर हो ,
भुलल बाड़ काहे हाड़ मांश के शरीर हो।
भज भगवान काहे धइले अज्ञान बा ।कहाँ0।।
बात लागल तुलसी के साधु होइ गइले ,
हनुमत कृपा से रामजी से भेंट भ इले ।
सांवली सुरत रुप अजब मुसकान बा ।कहाँ0।।
शिव कृपा से मानस में समइले
संवत 1633में लिखी पुरा कइले।
चली गइले काशी लागल हरि में धेयान बा।कहाँ0।।
संवत 1680 अस्सी घाट तीरवा ,
राम कही तुलसी जी छोड़ले शरीरवा।
बाबूराम कवि छवि छूपल आसमान बा।कहाँ0।।
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बाबूराम कवि
बड़का खुटहाँ ,पोस्ट-विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार )841508
मो0नं0 -9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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