*नमन बदलाव मंच*
*लेख-लघुकथा गद्य विधा*
*दिनांक:-27-07-2020*
*घोषणा-यह घोषणा की जाती है कि यह मेरी स्वरचित रचना है।*
*विषय* -
*'एक साहित्यकार और एक आम आदमी में अंतर'*
साहित्यकार वह व्यक्ति है,जो समाज के प्रति सूक्ष्म दृष्टि रखते हुए,किसी भी घटना को अनोखा रूप प्रदान कर साहित्य रूप में प्रस्तुत कर सकता है।
मैं इस बात को इस उदाहरण से समझाना चाहूँगी,जो कि मेरे घर की वास्तविक घटना है-
शीर्षक-'स्वस्थ समाज'(लघुकथा)
बेटी परी ने अपने नानू से पूछा,नानू "आज ये टिड्डी दल रावतभाटा में क्या कर रहे हैं?"
तो उन्होंने उत्तर दिया "बेटी, परी, ये पाकिस्तान से आ रहे हैं",अच्छा तो पहले चीन ने कोरोना वायरस भेजा और अब पाकिस्तान टिड्डी दल भेज रहा है।
नानू,"ऐसा लोग क्यों करते हैं?"जबकि भारत देश तो सब देशों को कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की दवाई भेज रहा है।
अगर नानू ,सब देश मिलकर सबकी भलाई की सोचें तो जो आपने सिखाया कि 'वसुधैव कुटुंबकम' मतलब पूरी पृथ्वी हमारा परिवार है तो हम किसी भी बीमारी व आपदा का मिलकर सामना कर सकते हैं।
परी बेटी की बातें सुनकर मेरे मन में सकारात्मक विचार आया कि अगर सभी राष्ट्र की सोच ऐसी हो जाय तो सच में हम सब एक 'स्वस्थ समाज' का निर्माण कर सकते हैं।
'आम आदमी' वह है,जो भले ही लिखता न हो,लेकिन उसमें समाज -सेवा या उचित धर्म-अधर्म की बातें समय विशेष अथवा विभिन्न परिस्थितियों में उत्पन्न होती रहती हैं।
इस बात को हम इस प्रकार समझ सकते हैं-
"एक बार एक सच्चा व्यक्ति एक बगीचे में खड़ा था।थोड़ी देर में उसने देखा कि एक गाय दौड़ती हुई उसकी बाई दिशा की ओर चली गई,फिर उसके पीछे एक दढ़ियल व्यक्ति डंडा लेकर आता हुआ,दिखाई दिया।
उसने उस सच्चे आदमी से पूछा क्या तुमने किसी गाय को यहाँ से जाते हुए देखा है?
तो पहले तो वह सोचने लगा लेकिन फिर उसने उसे मना कर दिया और वह दढ़ियल आदमी भी दाई दिशा की ओर चला गया।"
उस सच्चे आम व्यक्ति ने किसी का जीवन बचाने के लिए झूठ कहा तो भी उसका झूठ ,सही व धर्मानुसार माना जाएगा।
इस बात से यह ज्ञात होता है कि एक आम व्यक्ति में भी अलग-अलग स्थितियों में साहित्यकार की प्रकृति उत्पन्न हो सकती है।
इस प्रकार एक साहित्यकार और एक आम व्यक्ति में अंतर होता है।
नाम-रूपा व्यास,
पता-व्यास जनरल स्टोर,दुकान न.07,न्यू मार्केट,'परमाणु नगरी'रावतभाटा,जिला-चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)पिनकोड-323307
व्हाट्सएप न.-9461287867
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