गुरु महिमा



गुरु महिमा

गुरु हमारे अमर अलौकी, देते गुण अपार
रखो मेरे शिर पे हाथ, नही आप बिना उद्धार

आप करुणा अवतारी, गुणवान गुण के दाता
है अमूल्य स्वरूप आपका, है उच्च विचार

बिखरे हुए को सजाया, बदल दिया वान (वर्ण)
इंसानियत की महेक में, है आप के संस्कार

विश्वास,आभास, साक्षात के है गुण-गान
मुज जीवन में नेत्र के सम, बने स्तंभ आधार

नाभी कमल आप है, मेरे जीवन प्रभार
ज्ञान कुंजकी गंगा बहाके,किया समजदार

वाणी विचार को गति दे के,दिया निर्मल कंठ
‘कलम’ करे चरण स्पर्श, है आपक मेरे अलंकार
सुथार सुनील एच. "कलम"
एम.पी.सी.सी. भांडोत्रा, कम्प्यूटर शिक्षक
गांव-रानोल, तहसील- दांतिवाडा ,बनासकांठा, गुजरात
मां.9979363553
sutharsuni01@gmail.com
दिनांक :५/०७/२०२०

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