जब से सुना है आप भी मगरूर हो गए।। मेरे यकीं के आईने सब चूर हो गए


गजल
जब से सुना है आप भी मगरूर हो गए।।
मेरे यकीं के आईने सब चूर हो गए।।

पहना है जबसे आपने रुसवाईयों का ताज।
दिल से हमारे आप बहुत दूर हो गए।।

जिनसे हमें थी आस उजालों की शहर में
अफसोस वो चराग ही बेनूर हो गए।।

हम आईना बने तो जहां थे वहीं रहे
सूरज को कह के चांद हो मशहूर हो गए।।

तुमको भुला कर भूल ना पाए तुम्हें सरल
तुमने दिए जो ज़ख्म को नासूर हो गए।।
   वृंदावन राय सरल सागर मध्य प्रदेश

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