हाइकू
बादल आये
गड़ गड़ गरजे
नभ में छाये।
सावन आया
रिमझिम बरसे
बारिश लाया।
पावस आई
चलती पुरवाई
बरखा लाई।
ले अंगड़ाई।
अरमां जब चले
ये पुरवाई।
मेघा बरसे
बोले मोर पपीहा
धरा हरषे।
भूपसिंह भारती
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