परम पुनीत गीत भक्त भगवान हिय ,सर्व हितकारी जन-जन कल्याणी है

🌾गीता -महिमा 🌾
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परम पुनीत गीत  भक्त  भगवान हिय ,
सर्व हितकारी जन-जन  कल्याणी है ।
सत्कर्म,धर्म,मर्म भक्ति की बताने वाली ,
सरल - सुखद हरि मुख की ए वाणी है।
पाप,त्रयताप हारी जगजाल काट सदा ,
अभय  बनाने  में   अतुल  अगाडी़ है ।
करि कायाकल्प "कवि बाबूराम "सबही का,
सुख-शान्ति सम्पत्ति की गीता फुलवाडी़ है।

सदा शुभ गति -मति प्रगति पुण्य देवी है ,
जन-मानस सु खात्री सुचि मातृ है गीता ।
हृदयस्पर्शी कालजयी त्रिकालदर्शी शुभ ,
प्यार प्रभु भक्ति पल-पल धातृ  है गीता ।
काम-क्रोध ,मोह-क्षोभ दुःखहारिणी है,
स्वर्ग सु  मुक्ति मोक्ष मंत्र दायी  है गीता ।
जन्म -मृत्यु शोक -भय लख चौरासी काट,
कैवल्य" कवि बाबूराम  "दात्री  है गीता ।

सर्वदा  महान  गीताज्ञान  प्रभु वरदान ,
कल्पवृक्ष   कामधेनु  पारसमणि  है ये ,
अध्यात्म ,ईश आत्म कल्याण विश्व बन्धुत्व,
भक्ति प्रकाशिनी सदज्ञान की लडी़ है ये ।
श्रुतियों की रानी ,महरानी ज्ञान-गौरव की,
पतितों  को  पावन  करने में बडी़ है ये ।
धार गीता ज्ञान यथाशीध्र "कवि बाबूराम "
जीवन भरोसा  कहाँ  घडी़ दो घडी़ है ये ।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार )
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
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                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
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                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
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                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
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