वशीकरण है मन्त्र सर्वोपरि अति उत्तम अनमोल।कटुवचन को त्याग मनारे मधुर वचन नित बोल।।

🌾मधुर वचन नित बोल 🌾
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वशीकरण है मन्त्र सर्वोपरि अति उत्तम अनमोल।
कटुवचन को त्याग मनारे मधुर वचन नित बोल।।
मधुर वचन है मंगल कारक बाढ़त जग में प्यार।
जन मन सु जागृत कर देता अन्तस में उजियार।।
सरस सुखद नर जीवन का अनुपम सुख सार।
वैर ,विरोध ,दुराव ईर्ष्या व्देष पल में देता टार।।

दुश्मन को भी दोस्त बनाता लाता सदव्यवहार।
निर्झर अस निर्मल करता है वाणी बुध्दी विचार।।
भक्ति भक्त भगवान शरण में करता है पइसार।
जीत-प्रीत  का  श्रोत यही है जीवन आधार।।
परहित परमार्थ पथ पद हो मन हो मीठे भाव।
मृदुवाणी मुस्कान  सर्वदा  हरि से रहे लगाव।।
चेत मना चाहत अवरोधी कर निज मन में होश।
कटु निन्दा  झूठ  बुरा  सब है वाणी का दोष।।

मधुर प्रिय सुखकारी वाणी की चहुंओर बखान।
इसके बस में  ही  है सचमुच सकल  जहान।।
वेद ,पुराण ,गीता ,सु  मानस देता यह उपदेश।
सत्य मृदुवाणी धार मना मिट जाये सब क्लेश।।
संत ,ऋषि ,सुज्ञानी गुरुवर गहे इसी का साथ।
इसके बल पर ही बन जाता बिगडी़ सब बात।।

प्रभु भक्ति सुकर्म से मानव मत हो डावाडोल ।
दया धर्म करुणामयी  नित मीठी वाणी बोल।।
सत्य  प्रिय सु  मृदुवाणी सदा बढा़ता  मान।
हो इसमें लवलीन सदा मन महिमा इसकी जान।।
सत्य सुखद सुचि मृदुवाणी परम प्रभु का धाम।
रम मन इसमें  राम मिलेंगे सच "कवि बाबूराम"।।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ ,विजयीपुर 
गोपालगंज (बिहार)
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
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                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
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                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
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                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
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