एक बच्चा रोता है


अभी कुछ दिन पहले कश्मीर में हुए एनकाउंटर के दौरान गोली लगने से एक बुजुर्ग की मौत हुई थी और तीन साल का एक बच्चा उसकी लाश पर बैठकर रो रहा था, उसी हालात पर मेरी ये कविता प्रस्तुत है -

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*एक बच्चा रोता है*
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एक बच्चा रोता है-
लाश के पास बैठा

जिन्हें अभी अभी छलनी किया है गोलियों ने

लेकिन नहीं नहीं... वह लाश नहीं, अब भी उस मासूम का बाबा है, जिन्हें खून से लथपथ
देख

रो रहा है वह फूट फूट कर
ग़म उसे अपने बाबा को खोने का है या अपने बदनसीब भविष्य का,
नहीं मालूम

लेकिन-उसे बचा लिया एक ख़ाकी वाले अंकल ने
अन्यथा, वह भी बाबा के साथ ही हो गया होता शहीद

और उसे रंज और मलाल भी इसी बात का रहा होगा
वह क्यों जिंदा बच गया

क्यों नहीं अपने बाबा के साथ ही शहादत हुई उसकी
वह रो रहा होगा- काश उसने जन्म ही न लिया होता वादी मे

वह रो रहा होगा- कि उसे भी कल इसी तरह लाश बना डाला जाएगा,और उसकी भी औलादें रोयेंगी,

जारो कतार
उसकी तरह ही
ऐ खुदा, तूने ये नाइंसाफ़ी क्यों की

क्यों बाशिंदा बनाया वादी का
क्यों छोड़ दिया बारूद के ज़हरीले फ़ज़ा में घुट घुट कर जीने /मरने को

ये कैसा इंसाफ़ है तेरा
कि जिंदगी ख़ौफ़ में जीती है
कोई मोल नहीं इसका यहां-वादी में!!


-मोहम्मद मुमताज़ हसन©®
टिकारी, गया, बिहार

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