सच्चा बेटा
अभी भी उस सच्चे बेटे को भारत मां ढूंढ़ रही है
जिसका जिंदगी इनपे सच्चे दिल से समर्पित हो।
अभी भी उस सच्चे बेटे को हर गांव ढूंढ रही है
जहां आज भी सुविधा बिना लोग तड़प कर मर रहे हैं।
अभी भी उस सच्चे बेटे को लावारिश लाशें ढूंढ़ रही है
जो आज भी सड़क के किनारे पड़ी ऐसे ही सड़ रही है।
अभी भी उस सच्चे बेटे को हर वो भूखी मां ढूंढ़ रही है
सिर्फ बातों से ही नहीं बल्कि उनको रोटी से पेट भर दें !
अभी भी उस सच्चे बेटे को हर बूढ़ी मां ढूंढ़ रही है
जो जीवन के अंतिम समय को वृद्धाश्रम में काट रही हैं।
अभी भी उस सच्चे बेटे को देश की सरजमीं ढूंढ़ रही है
देश के शान को बेचने वालों का हर सिना छननी कर दे।
रूपक भी देश के वैसे ही सच्चे बेटे को ढूंढ़ रहा है
जो सिर्फ वादों से नहीं कामों से सबका दिल जीत लें।
©रूपक
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