बदलाव मंच चित्रात्मक काव्य सृजन सह विडियो काव्य
चित्र क्रमांक:-9
शीर्षक:-अर्धनारीश्वर क्यों
नाम:-अंशु
विषय:-चित्र प्रतियोगिता
स्त्री पुरुष है समान ,
रूप धरकर अभिराम ।
अर्धनारीश्वर संतुलित रूप,
शिव-शक्ति अद्भुत स्वरूप ।।
स्त्री शक्ति है ,प्रखर है ,
सृष्टि पुरुषत्व ,स्त्री तत्व है ।
तड़ित चपला वो अति रौद्र छवि,
महाकाली क्रोधानल में असंख्य रवि।।
हे प्रलयंकर! तुमने जीवन मर्म समझाया ,
शक्ति के चरणों में ब्रह्म को सुलाया।
पौरुष का अस्तित्व स्त्री को पूरक दिखलाया,
नारी महाशक्ति है ,इस का मान बढ़ाया ।।
करुणा- संवेदना की सुरसरी जगाकर
अपने उर में नारी तत्व छवि दिखलाकर ।
दोनों है अधूरे ,दोनों है पूरक जताया ,
एक दूजे में इनके संपूर्ण संसार समाया ।।
एक काया है ,एक परछाई ,
नहीं कोई बड़ा ,नहीं प्रभुताई ।
था कृष्ण ने भी मोहिनी रूप बनाया,
धन्य -धन्य प्रभु तेरी अखंड माया ।।
नारी बिन नहीं पुरुष, पुरुष बिन नारी नहीं ,
यह बात समझा कर अर्धनारीश्वर रूप बनाकर।
संदेश गहन पहुंचाकर, आदर्श स्थापित कर,
संसार को नारी- गरिमा का अर्थ समझाया।।
शिव और शक्ति, सृष्टि की आधारशिला ,
प्रकृति और पुरुष की पावन गरिमा ।
अर्धनारीश्वर शिव -शक्ति तारताम्य,
बिन शक्ति के शिव, शिव नहीं है शव।।
तड़ित वासना ,चपल कामना,
देह का सौंदर्य, सिर्फ देता वेदना ।
स्त्री भाव के सर में नि:श्वास ,
अदम्य जिजीविषा ले खड़ी अभिलाष ।।
स्त्री देह के भूगोल से बिल्कुल विलग,
संवेदनाओं के जलधर से बरसे पावस ।।
सदियों से जो केवल भोग्या रही,
ढ़ोल जैसी ताड़ना की अधिकारी बनी।।
खोखले पुरुषवाद को सींचती रही,
अमोल जज्बातें दफ़न करती रही ।
पुरुष की आकांक्षाओं के समीर में बहती ,
आज क्या मैं भी अर्धनारीश्वर हूँ पूछती ?
पुरुष शिव है मृत्युंजय है ,
नारी शक्ति सृजांग है ।
दोनों मिलकर समर्पण करते,
बनते एक दूजे का अर्धांग ।।
कैसे नारी तुच्छ है ,वस्तु है ,
कैसे नारी कमत्तर है ,अबला है ।
कृष्ण भी प्रेम में राधा बन जाते हैं ,
रूद्र अर्धनारीश्वर रूप धर समझाते हैं ।।
स्त्री सृष्टि स्वरूपा है ,
स्त्री माँ वत्सला है ।
स्त्री प्रकृति है करुणा है ,
स्त्री के आगे नतमस्तक दुनिया है ।।
स्त्री अर्पण है ,समर्पण है ,
स्त्री पावन है ,स्त्री सृजन है।
स्त्री अर्धनारीश्वर का आधा अंग है,
स्त्रीत्व पुरुषत्व से कैसे कम है ?
अंशु प्रिया अग्रवाल
मस्कट ओमान
स्वरचित
सर्व मौलिक अधिकार सुरक्षित
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