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देवी दिव्य महान शारदे ,
देहु अभय वरदान शारदे ।
मानवता माधुर्य महक मय ,
शुभकर्म सदा आलोक भरा हो।
दया धर्म करूणामय पावन ,
सुचि सदगुण सदज्ञान खरा हो।
सुखद सलोना कोना-कोना ,
कर जीवन गतिमान शारदे।देहु०।
परमार्थ परहित पुरूषार्थ ,
क्षमा शीलता दान दो माता।
देश धर्म सत्कर्म सु -पावन ,
प्रगति पथ कल्याण दो माता।
पुण्य भलाई देहु दया कर ,
नित नूतन शुभ ज्ञान शारदे।दहु०।
आत्म संयम संतोष सत्य निष्ठा ,
सुचि सत्संग वितान हो माता ।
प्रेम श्रध्दा विश्वास आस पूर्ण ,
प्रभु भक्ति परिधान हो माता ।
रहु निमग्न मै राष्टृ हित में ,
हँसकर दे दू जान शारदे ।देहु०।
सुर की सरिता हो ताल तलैया ,
नतमस्तक हूँ चरण में मैया ।
डगमग भव सागर में मेरी ,
पार लगा दो आके नैया ।
विमलता "कवि बाबूराम " को ,
करूणामयी कर दान शारदे।देहु०।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम-बड़का खुटहाँ ,पोस्ट-विजयीपुर(भरपुरवा)जिला-गोपालगंज (बिहार )
मो०नं० - ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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