जल की कल कल होनी चाहिए हर कल में।कल कल छल छल पल पल चली रसातल में।।

🌷 *नमन बदलाव मंच🙏* 
 **मुक्तक काव्य* 
 *पता *=तीर्थांकर* *महावीर** *विश्वविद्यालय* *मुरादाबाद यूपी* 
                   🌷 **बूंद** 🌷
जल की कल कल होनी चाहिए हर कल में।
कल कल छल छल पल पल चली रसातल में।।


चहुं ओर मुंह फैलाए खड़ा ।
राक्षस प्रदूषण रत्न जड़ा   ।
कलह कल्पित ,कोलाहल सी मची नभ तल में।।

गर बरबाद इस अमृत को करता जाएगा।
हे मानव प्रथ्वी के दानव,एक दिन ऐसा भी आयेगा।
गात सूखे गल सूखे ,नहीं होगी बूंद  किसी नल में।।

पानी को अब बचाना हम सब की जिम्मेदारी।
अपने ही संग खुद ना कर  हे मानव गद्दारी।
बूंद बूंद को तर सोगे एक दिन , सुखी दल दल में।।

जिनके जल में पाप धुलते , था अवगाहन स्वीकार,।
विष घोला मानव तूने, उनपे ही किया प्रहार ।
जल जीवन में करके हल चल डाला विकल में।।


भावना सूखेंगी आंखो का नीर सूख जाएगा ।
करके बरबाद जल को ,आंसू भी कहां से लायेगा ।
आंखो में  जल भाव बिहल बह ता निज पटल में ।।  

भूल स्विमिंग पूल बाथ वॉश फ्लाश ।
सब हो कम पानी में, रहे नई तलाश।
फिर सोने की चिड़िया चुगे हीरे मोती भारत की धरा के धरातल में।।

 *एल. एस. तोमर असिस्टेंट* *प्रोफेसर तीर्थांकर महावीर* *विश्वविद्यालय मुरादाबाद यूपी*

Badlavmanch

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