मन के भोले भाले और सच्चो।आओ बच्चों आओ बच्चों।।

बाल गीत
आओ बच्चों।

स्वरचित रचना।

मन के भोले भाले और सच्चो।
आओ बच्चों आओ बच्चों।।

झूम झूम गाओ।
,मेरे पास आओ।।
कोई कविता कोई
 धुन सुनाओ बच्चों।

नाटक खेलो
। कुछ ज्ञान लेलो।।
राधा कृष्णा बनकर
 बाल सखा संग खेलो।।
महाभारत के अच्छे 
पात्र बन जाओ बच्चों।।

बचपन की दुनियां 
है बहुत निराली।
जीवन में ये पल कभी 
और नही मिलने वाली।।
खूब खेलों तुम 
 खूब पढ़ जाओ बच्चों।।

लो किताबें तुम नभ को छूलो।
जीतना सीखकर ऊँचे पेंग झूलों।।
दुनिया के झूठे टेंसन
को जरा भी ना पास लाओ बच्चों।।

प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार

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