सज धज कर राजा चुहा चला


सज धज कर राजा चुहा चला
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सज धज कर राजा चुहा चला,
चूहों संग मिलकर बारात,
संग संग कुछ चुहिया चली,
संग संग चूहों के साथ।

सभी खुशी में झूम रहे थे,
एक दूजे को चूम रहे थे,
कर रहे थे डांस  सभी,
लेकर एकदूजे के हाथ।

मिली कुछ दुरी पर बिल्ली उनको,
देख कर वह बिल्ली मुस्कराई
मन हीं मन वह खुश हुयी,
दी वह दिल से बधाई।

जब सभी बाराती पहुंच गये,
रानी  चुहिया के घर द्वार,
मन खुशी से लगा झुमने,
देखकर  स्वागत सत्कार।

हुयी बरमाला राजा रानी की,
एकदूजे को वरमाला पहनाई,
मस्त हुये एकदूजे को देखकर,
खायी शादी की खुब मिठाई।
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           अरविन्द अकेला

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