ऑनलाइन बकरे बिकने लगे हैं

ऑनलाइन बकरे बिकने लगे हैं 
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गांव भी शहरों की रोशनी से ,
परहेज़ करने लगे हैं ।
अनलॉक के सुनहरे पल ,
परेशान करने लगे हैं ।।
जाम का तरीका भी बदला सड़को पर ,
नि :स्वार्थ प्रबुद्ध उलझने लगे हैं ।
कार्य भले ही हो सरकारी ,
वयक्तिगत महकमे पनपने लगे हैं ।।
बेशक़ प्रभावित,चक्र समय परिवर्तन,
मास्क दूरी वाले उतरने लगे हैं ।
डगमग व्यवस्था भी नहीं हो ,
लाभ भी आकास्मात बँटने लगे हैं ।।
ईद के चांद की खूबसूरती निहारें ,
कुर्बानी-चर्चा भी पढने लगे हैं ।
बदले हैं विपणन के तरीक़े भी ,
ऑनलाइन बकरे बिकने लगे हैं ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश ) 

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