क्या तुम मेरी मोहब्बत बनोगी*,
या फिर यूँ ही तड़पता छोड़ दोगी*,
क्या तुम मुझे अपना गीत बनाओगी*,
या फिर मेरा सरगम तोड़ जाओगी*,
*क्या तुम सावन के झूलों में झूलाओगी*,
*या फिर हवा बनकर गुजर जाओगी*,
*क्या तुम मुझे अपने ख्वाब में बुलाओगी*,
*या फिर, ख्वाब ही बनकर रह जाओगी*..
*डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया*
मुक्तक
*ख्वाब का मैं शहंशाह हूँ, बगावत का बादशाह*,
*करता हूँ मैं अपनी मर्जी, लेकिन नहीं मैं तानाशाह*.
*भ्रमरपुरिया*
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