ना गिना कर

ना गिना कर... 

आते -जाते यूँ मेरी परछाईयां ना गिना कर
बिन तेरे  अकेला हूँ तन्हाईयां ना गिना कर

ममकिन नहीं रोकना उम्र - ए - रफ़्तार को
उम्र है ये बढ़ेगी सूरते-झाइयां ना गिना कर

कुछ भी लिख देता हूँ,मेरे ज़हन मे तुम बसे
मेरे अल्फाज़ समझ ,रुबाइयां ना गिना कर

कश्मकश जो हो अगर तो रंग उड़ जाता है
सफ़ेद होते चेहरे की हवाइयां ना गिना कर

जिस्म बूढा हो गया , चलना भी  मुहाल है
थामने का यत्न कर,दवाइयां ना गिना कर

"उड़ता"इश्क़-हवा,पुरवाइयां ना गिना कर
अफसाने बहुत हैं बेवफाइयां ना गिना कर.


स्वरचित मौलिक रचना 

द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर -124103 (हरियाणा )
संपर्क +91-9466865227


Badlavmanch

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