नमन मंच
*बदलाव*
साप्ताहिक चित्रात्मक काव्य सम्मेलन....
चित्र - *बूढी माँ*
शीर्षक - मेरा क्या
जैसे शाखा वृक्ष बन गई हो
और जो बनी वृक्ष
उसी ने भूत वृक्ष
को काट दिया।
यह बात है
उन शहर वाले
मोहल्लों की
जहां के
परिंदे भी इतनी
उड़ान नहीं भरते।
ऊंची ऊंची मंजिल है,
वहीं ममताओं
के ममत्व कट रहे ।
गगनचुंबी घर से
किसी एक कोने में है
एक वृद्धआश्रम
कर रही विलाप बूढ़ी मां
और देती दुआएं भी
मैं मां हूं तेरी
मेरा क्या
बेटे तू सलामत रहना।
*रचनाकार*
*कमल कालु दहिया*
*जोधपुर*
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