माँ

बदलाव मंच साप्ताहिक चित्र आधारित प्रतियोगिता 
चित्र क्रमांक - 02 
शीर्षक - माँ 

     🎼🌹माँ 🌹🎼

आसां नही है तुम पर कुछ भी मै बालक लिख पाऊँ माँ 
ममता तेरी चंद लफ्ज़ो में कैसे बयाँ कर पाऊँ माँ..
नन्हे से है मेरे कलम कैसे 
सारा संसार समाऊँ माँ..
आसां नही है तुम पर कुछ भी मै बालक लिख पाऊँ माँ..
आसां नही है...

* चरणों में है जन्नत जिसकी ममता का कोई मोल न है 
 स्नेह है जैसे अमृत धारा माँ से मीठा कोई बोल न है 
शब्दों के मेरे पहचान हो तुम तुमको ही गुनगुनाऊ माँ..
आसां नही है तुम पर कुछ भी मै बालक लिख पाऊँ माँ..
आसां नही है...

* बचपन तितली परियाँ गुड़िया जैसे मुझको बुलाती हैं 
 समेटे दुख मेरे सीने में अपने खुशियां मुझ पर लुटाती है 
लिये मेरे आँसू आँखों में अपनी ताकी मै मुस्कुराऊ माँ
आसां नही है तुम पर कुछ भी मै बालक लिख पाऊँ माँ..
आसां नही है...

* संग मेरे हँसती संग मेरे गाती सपनों को मेरे सहलाती है 
कर्कश से है शब्द जहाँ के लोरी तेरी याद आती है 
तपिश दुनिया की बढ़ती ही जाये फिर तेरे आँचल छिप जाऊँ माँ 
आसां नही है तुम पर कुछ भी मै बालक लिख पाऊँ माँ...

आसां नही है तुम पर कुछ भी मै बालक लिख पाऊँ माँ 
ममता तेरी चंद लफ्ज़ो में कैसे बयाँ कर पाऊँ माँ 
नन्हे से है मेरे कलम कैसे सारा संसार समाऊँ माँ..
आसां नही है.....

📖🖋️ लक्ष्मी करियारे 
( शिक्षिका लोक गायिका कवयित्री )
जाँजगीर छत्तीसगढ़

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