प्रेम चन्द्र साहित्यकार

बदलाव मंच 

29/7/2020

स्वरचित कविता

प्रेम चन्द्र- साहित्यकार

ऐसे थे हमारे प्रेम चन्द्र।
लिखते थे ऐसे समाज हो जाता था 
लामबंद।।
नाम था बचपन का धनपत राय।
सदा समाज के लिये लिखा उन्होंने
 बनके सहाय।।

उनकी कविता हो या कहानी 
सभी एक से बढ़कर एक।
बढ़ते ही दिल परिवर्तन होता
बन जाते दिल से नेक।।

कभी लिख पशु पँछी पर 
सबमें करूणा जगाया।
कभी लिख गुदगुदाने वाली 
कविता सभी को खूब हँसाया।।

कभी गरीबी के बारे में लिख
 आँख में आँशु ले आते थे।
ऐसे से थे लेखक तभी तो
 कलम के जादूगर कहलाते थे।।

देश के हर वर्ग को आप खूब लुभाये।
आज के दौर में ना होकर भी
 अपनी मौजूदगी दर्ज कराए।।

साहित्य के दुनिया 
के आप हो बादशाह।
आप के कलम के बराबर 
अभी भी नही है नही था।। 

वो सीखने सिखाने में 
सबसे आगे रहे,आज भी सिखाते है।
उनके रचना के आगे सारे कवि लेखक 
अब भी नतमस्तक हो जाते है।।

निर्मल भाव से लिखना भला उनसे
 बेहतर कोई सीख पायक है।
धन्य है  कलम के जादूगर अपने 
कलम का लोहा आपने मनवाया है।।

उनके जन्मदिवस पर 
कोटी कोटी नमन हमारा है।
उनके द्वारा रचित रचना वास्तविक
 रूप में हर स्थिति में हमारा सहारा है।।

प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार

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