क्यूँ माना

बदलाव मंच
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चित्रात्मक वीडियो काव्य प्रतियोगिता
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चित्र क्रमांक --01
शीर्षक- क्यूँ माना
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मुझसे होता स्रष्टि सृजन,पर तूने बला क्यूँ माना
पर तेरी खुशी के कारण,मैंने अबला कहना स्वीकारा
पर तेरी ------------

आडम्बर में फसी नही ,समाज से डरी नही
गर्व हूँ चरण धुलि नही,पर्व हूँ मूर्ति का फूल नही
रचना हूँ उत्तम ब्रम्हा की पर तूने भूल क्यूँ माना
पर तेरी-------------------

कोमल हूँ शूल नही
प्रेम हूँ हाथ का खेल नही
शांत हूँ प्रताड़ना की झेल नही
लक्ष्मी हूँ दहेज़ का रूप नही
सरस्वती हूँ पर तूने अज्ञानता का कूप क्यूँ माना
पर तेरी --------------
स्वावलम्बी हूँ किसी का भार नही
स्वावभिमानी हूँ अभिमान का वार नही
दया हूँ अत्यचार की मार नही
प्रसन्नता हूँ अश्रुओं की धार नहीं
दानी हूँ पर तूने दी हुई भीख क्यूँ माना
पर तेरी--------------------

सक्षम हूँ असक्षमता की चीख नही
अहंकार हूँ झुठी हुंकार नही
उत्साह हूँ चुप हो चुकी पुकार नही
अच्छाई हूँ बुराई का भंडार नही
मैं भी एक प्राणी हूँ पर तूने पुतला क्यूँ माना
पर तेरी------------------

मूर्ति हूँ पति धर्म की गांधारी
प्रेम हूँ त्रिलोकी की राधारानी
हवन हूँ पुरुष के सम्मान का 
धर्मराज हूँ भरत वंश के मान का
भस्म हूँ अग्नि परीक्षा की पर तूने दोषी क्यूँ माना
पर तेरी -------------------

फटकार हूँ तुलसी के रामचरित का
दुत्कार हूँ कालिदास के ऋतुसंहार का
पिंगला हूँ भर्तहरि के जग सम्मान का
अदिति हूँ विष्णु के अवतार का
मार्ग हूँ तेरेहर उत्थान का पर तूने पतिता क्यूँ माना
पर तेरी---------------------

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कल्पना भदौरिया"स्वप्निल"
अध्यापिका
बेसिक विभाग 
जनपद हरदोई
उत्तरप्रदेश
7007821513

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