*मैं भी तो एक नन्ही सी जान थी*,
*माँ की ममता, पिता का प्यार*,
*क्या रत्ती भर मैं हकदार न थी*,
*हे परमेश्वर ऐसी सज़ा मुझे क्यों दी*,
*मै तो दो जिस्मो की राजदार सी थी*,
*अभी तो मैं खिली भी न थी*,
*मुझपर ऐसी धारदार मार क्यों थी*,
*मेरा भी दिल था, मुझमें भी जान थी*,
*माँ मैं तो तेरे जिस्म की सम्मान थी*,
*किसी ने कहा पाप किया*,
*किसी ने हवस बनाकर पहचान दी*,
*अभी कुछ मास बीते और ताने की दुकान थी*,
*सास कहे बेटी न लाना बहू* ,
*मैं तो आत्मसम्मान थी*,
*किसी ने ठुकराया प्रेम कर*,
*पर मैं इतनी भी बेजान न थी*,
*माँ की सिसकियां मैंने सुनी है*,
*तन मेरा कच्चा, मन भी कच्चा*,
*कच्चे घड़े समान थी*,
*डाल दिया मुझपर नमकीन पानी*,
*गलन हो गई बदन में जैसे बर्फ समान थी*,
*पीड़ा को मेरी कौन जाने*,
*अंजाम दिया उसी ने जो भगवान समान थी*,
*मैं तो अभी खिली भी न थी*,
*मैं तो नन्ही सी एक जान थी*,
*किस बात की मुझको सज़ा मिली*,
*मैं भी तो आप जैसों के समान थी*.
*डॉ सत्यम भास्कर "भ्रमरपुरिया"*
*डायरेक्टर आयुस्पाईन हास्पिटल दिल्ली*
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