भाई भाई का शत्रु जब हो जाता है। एक दूजे के रक्त के प्यासों का

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
विषय ---कारगिल विजय दिवस

            रचना                         

 भाई भाई का शत्रु जब हो जाता है।
एक दूजे के  रक्त के प्यासों का
कुरु क्षेत्र युद्ध का मैदान  सज जाता है।।

पहले बांटा अखंड भारत को लेकर धर्म इस्लाम के नाम पर
जघन्य इरादों का पड़ोसी बना
इस्लाम का अलम्बरदार पाकिस्तान।।

नफ़रत के बारूदों से किया नोवाखाली का कत्लेआम
सन् उन्नीस सौ अड़तालीस में
कबायली छद्म युद्ध का आगाज़।।

फिर भाषा के नाम पे सन् इकहत्तर में मुक्ति वाहिनी के
शौर्य से जन्मा बंग भाषा का 
बांग्लादेश देश नया नाम।।

भारत की लौह महिला दूर दृष्टि
मजबूत इरादों की प्रियदर्शिनी
इंदिरा  भारत के गौरव
स्वाभिमान की रणचंडी का 
शंख नाद गूँज का विश्व गान।।

बाँट गया टुकड़ो में फिर भी चैन नहीं दंभी को
भारत ने सदा माना छोटा भाई
फितरत से बाज़ नहीं आता पड़ोसी पाकिस्तान।।

कारगिल में जबरन कब्ज़ा कर बैठा कुछ चौकी भारत के कब्जे का  बेईमान इरादों का पाकिस्तान।।

अटल इरादों  का सौम्य व्यक्तित्व
अटल बिहारी बाजपाई ने सारे
यत्न प्रयत्न किये समझाने को
माना नहीं कुटिल पाकिस्तान।।

अटल बन गए अडिग चट्टान
फूंक दिया विगुल युद्ध का ललकारा शत्रु को आओ करते
है संग्राम ।।

लक्ष्य कठिन था दुश्मन ऊंचाई पे
बैठा अपराजेय का अभिमान
भारत के वीर सपूतों की अग्नि
परीक्षा का वक्त लेने को था इम्तेहान।।

भारत के बीर सपूतों ने मातृभूमि
के स्वाभिमान पर मर मिटने का
किया युद्ध घोष हर हर महादेव
जय माँ काली के जय घोष से
गूंजा अम्बर आकाश।।

पवन वेग से आसमान से भय
भयंकर काल कराल विकट विकराल गरजे मिग मिराज।।

भारत के वायु सेना के जाबांज
बनकर टूट पड़े कहर समझ ना
पाया पाकिस्तान।।

थल सेना के जज्बे का क्या कहना बयाँ हाल हर जवान  लिये तिरंगा हाथ में जय जवान का
विजयी शौर्य संधान भीषण हुआ
संग्राम।।

पीठ दिखाकर दुश्मन भागा
कारगिल विजय का शौर्य सूर्य
विश्व छितिज पर उदयमान।।

भारत के वीर सपूतो ने दी
कुर्बानी माँ भारती के चरणों
बलिदानो के शीश चढ़ाकर तर्पण
शत्रु के रक्त से कर विजय अभिमान का दिया उपहार।।

धन्य वो माताये जिनके पुत्रों
के त्याग बलिदान का ऋणी
है भारत का कण कण वर्तमान
इतिहास।।

धन्य नारी जिसका युद्ध में शहीद
हो गया सुहाग हर भारत वासी उन बहनो का नत मस्तक होकर
करता है नमन प्रणाम।।

युद्ध सदा घातक होता हानि
हस्र ही संग्राम चाहे विजयी हो
या हारा सर पिटते कलंक अतीत
को वर्तमान करता परिहास।।

दुष्ट दैत्य असुर तो समझाने से
आते नाही बाज न्याय दंड का
चल पड़ता समय काल ही बन जाता काल।।

कारगिल छोटा भाई कहे या
पडोसी की कुटिलता का परिणाम
अभी बाज नहीं आता अपनी चाले चलता रहता अणू अस्त्र की
धमकी देता नहीं समझता अतीत
वर्तमान।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

Badlavmanch

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