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सत्कर्म प्रधान मर्म मानव योनि में श्रेष्ट ,
अस्तु ! शुभ कर्मों में आगे बढ़ते जाइए ।
युक्ताहार विहारस्य सूत्र शिरोधार्य सदा ,
प्राप्त रूखा सूखा प्रेम श्रध्दा से पाइए ।
शीध्रता न हो भूल सेभी भजन भोजन में,
ग्रास प्रमुदित मन प्यार से चबाइए।
रसे जिते जित सर्वत्र सार सदग्रन्थों का,
रसना को स्वाद व विवाद से बचाइए ।
साहस सम्बल सहारा साथ प्रभु का सदा,
जाग अविलम्ब सारे जग को जगाइए ।
अनावश्यक झूठ निन्दा त्याग कटु वचन ,
वाक् शक्ति सुखद सुमधुर बनाइए ।
अनमोल वाणी के हर बोल में हरि हरि ,
हृदय में हर पल हरि को बसाइए ।
नारायण अंश वंश हंस हो सनातन से तू ,
जीवन जग स्वाद विवाद से बचाइए ।
जाही विधी राखे प्रभु रहिये महा मगन ,
सदज्ञान सुचि सत्य सुधर्म फैलाइए ।
अन्दर से जाग प्यारे भाग निज स्वार्थ से ,
चक्कर लख चौरासी पार कर जाइए ।
सदगुरू संत विप्र धेनु सुसेवा में रत ,
शुभ सीख लीक प्रमाण बन जाइए ।
स्वाद बाद छोड़के विवाद"कवि बाबूराम "
पावन परमेश्वर के शरण हो जाइए ।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार )841508
मो0नं0- 9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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