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जय भक्त शिरोमणि शरणागत, जय संक़ट मोचन कृपानिधान।
जय बजरंगगी श्रीराम दूत, जय पवनपुत्र जय जय हनुमान।।
जय आनंद कंदन केशरी नंदन जग वंदन शुभकारी।
जय खल मद गंजन असुर निकंदन भव भंजन भयहारी।
जय-जय जन पालक द्रुतगति चालक सुचिमय फलहारी।
जय श्रीहरि धावन प्रभु गुण गावनपावन प्रेम पुजारी।
अंजनी लाला, दिन दयाला, जय योग निराला जय महिमान।
जय बजरंगी श्रीराम दूत0।।
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जय संकट मोचन विभुलोचन जय मन मोहक मधुरारी।
जय कौतुक कारक शोक निवारक जय उत्तम ब्रह्मचारी।
जय हनुमत बाला सूक्ष्म बिशाला सुर -संतन हितकारी।
जय सुरसा उध्दारक लंकिनी तारक वानर जूथ बलकारी।
जय अक्षय मारक लंका जारक जय -जय हे अतुलित बलवान।
जय बजरंगी श्रीराम दूत 0।।
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जय पथ प्रदर्शक बुध्दिबल बर्धक जय -जय करुणा सागर।
जय भाग्य विधाता श्रेष्ट ज्ञान ज्ञाता दाता में अति नागर।
जय विकटानन मर्दि दशानन पटक दियो जस गागर।
जय भक्ति प्रपति शरणागति दाता हरि सेवा में आगर।
महिसागर कानन जय विजयानन देहु चरण रति भक्ति दान।
जय बजरंगी श्रीराम दूत 0 ।
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देहु भक्ति अपायनी बुध्दि वरदायिनी परु न मै भवकूपा।
प्रभु शरण में लीजै अभय करीजै दीजै भक्ति अनूपा। त्रयताप पाप से मुक्त करो हे मंगल मूरति रुपा।
मै मन्दमति पातकि अति नहिं आपसे कछु है छुपा।
सदा शरण तिहारे त्राहि-त्राहि "कवि बाबूराम "का हे भगवान।
जय बजरंगी श्रीराम दूत 0।।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन-841580,मो0नं0-9572105032
Email = baburambhagat1604@gmail.com
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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