❤️ क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ?❤️
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कितना भी तुम उड़ो गगन में,
बादल को छू ना पाओगें।
माँ की मातृत्व की तुलना ,
में सबकों नीचे ही पाओगें।
माँ कों दौलत से तौलोगे,
वो कीमत कहीँ नही होगी।
माँ के तप-त्याग तपस्या सी ,
अनमोल सूरत भी नही होगी।
माँ की फितरत गंगा-जल सी
स्वच्छ और निर्मल ही होंगीं।
तेरी हर बुराई और नफरत को ,
अपनें उदर में समाहित कर लेगीं।
अपनें मन के निर्मल जल सें तेरे,
मन के सारे मैल को धो देगीं।
अपनें अंतर्मन सें पूछो!
माँ से तुम क्यों पूछते रहते हो?
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ ?
जन्म दिया है,माँ ने तुमकों,
अच्छे से तुझें समझती हैं।
जबसे बोलना नही सीखा था,
तब से तुझें वो परखती है।
एकमात्र माँ ही निस्वार्थ तेरे,
लिए जीती है और मरती है।
अपनें स्वार्थ के खातिर कुछ लोग,
तुझकों गुमराह किया करतें है।
अपनों को पराया करनें वालें,
कभी किसी के सगे नही होते है।
एक निश्छल माँ की ममता को,
जो छल से धूमिल करता है।
माँ की आहों और बद्दुआओं सें
ना जीता है ना मरता है।
माँ से क्या तुम पूछतें हो ?जरा,
माँ के दिल के दर्पण में अपनें,
मन की आँखों से झांक के देखो ना!
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ?
कितना! बुरा हूँ मैं माँ?
ये तो अपनें अंतर्मन से पूछ लो ना!
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय 💐समाप्त💐
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