कवयित्री गीता पांडेय द्वारा रचित 'सुभाष चन्द्र' बोस विषय पर कविता

दिनांक:-20/08/2020
विधा:- कविता 
विषय:-सुभाष चन्द्र बोस 
प्रकृति-स्वरचित 

तुम मुझे खून दो,मैं तुझे दूॅगा आजादी।
वरना ये फिरंगी, देश का करेंगे बर्बादी।
उन्नीस सौ अड़तीस में थे कांग्रेसाध्यक्ष।
विरोधी खेमे देख के बौखलाये प्रत्यक्ष।

पाॅच जुलाई, उन्नीस सौ  था तिरालीस।
सिंगापुर धरती से, उद्घोष  निखालिस। 
आजाद हिंद फौज का, बने कमाण्डर।
भारत पर चढाई  किये, अपने अण्डर।

"दिल्ली चलों" मेरा वतन, तुझे पुकारा।
आजादी के लिए,उन्होंने लगाया नारा।
सन् तिरालीस में बनाये अस्थाई सत्ता।
स्वतंत्रता के नाम से काॅपे अंग्रेजीपत्ता।
 
छः जुलाई ,चौवालीस  में ,गये थे रंगून।
रेडियो  स्टेशन  की  घोषणा से, सगुन।
राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी,दो आशीर्वाद।
भारत भूमि से अंग्रेजों को करूॅ बर्बाद।
 
वतन की पुकार सुनों,हे भारत के शेर।
फिरंगियों को मार भगाओ,न करों देर।
लोकप्रियता से , नेताजी  था उपनाम। 
देश की आजादी के लिए किये  काम।

"जय हिंद" नेताजी  का  ही था उद्घोष।
आज भी कह कर,  करते है जयघोष। 
गीता पाण्डेय का, नेताजी  को  नमन।
उनसे खिला था, माॅ भारती का चमन।

स्वरचित कविता 
गीता पाण्डेय, रायबरेली उत्तर प्रदेश

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