राम मन्दिरकी रक्षा सभी कीजीये।
परम आत्मा है राम आर्यावर्त की,
है धर्मग्रन्थरामायण अमल कीजीये।
राम शाश्वत हैं मर्यादा पुरूषोत्तम है ,
लुप्त गरिमा न विश्वगुरू की कीजीये ।
राम मन्दिर रामायण अटल सत्य है ,
आगे बढ़ सहयोग सभी कीजीये ।
पाके मानवका तन करके उल्टा यतन,
निज पग में कुल्हाणी नहीं दीजीये।ह
ऐसा करके मिले क्या जरा सोचिये,
अधोगति नर्क अपयश नही लीजीये ।
मन्दिर निर्माण में प्राण सबका बसे ,
शिध्र बनवाइये ना विलम्ब कीजीये।
सत्य सभ्यता,संस्कृति सदा कायम रहे,
सब मिल प्राण प्रण से जतन कीजीये।
*************************
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )
मो0नं0 - 9572105032
*************************
On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
0 टिप्पणियाँ