कवि शैलेन्द्र सिंह शैली जी द्वारा रचित 'हाइकु'

*### हाइकु ###*
यह जिंदगी
आपने नवाज़ी है
आप संभालो।

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खुली रहती
रोज़ राहें दिल की
कोई पुकारे।

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जीता हूं ऐसे
टूटे शीशे को जैसे
जोड़ता कोई।

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झांकती वह
खिड़कियों को खोल
सलाखों में से।

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चाहत मेरी
लचचाए बदन
तू साख जैसे।

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हाइकुकार:- शैलेन्द्र सिंह शैली
    महेन्द्रगढ़,हरियाणा
     9354998007

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