कवयित्री गीता पांडेय जी द्वारा रचित सुंदर 'बाल गीत'

दिनांक-24/08/2020
दिन-सोमवार 
विधा-बालगीत 

मैंया मैं खेलन जाऊॅ यमुना किनारे।
गोप,गोपिका होंगी,सखियन हमारे।
खेलत-खेलत यमुना में जायेगी गेंद।
सभी खिलाड़ियों को ही होगा खेद।

गेंद लाने,मैं जाऊॅगा, यमुना में कूद। 
कालिया का मर्दन, मैं करूॅगा खुद।
यमुना का पानी,कर रखा है दूषित।
उसे सजा दूॅगा,जो भी होगा उचित। 

नहीं लल्ला, तुमको नहीं जाने दूॅगी।
कुछ होगा, वासुदेव से क्या कहूॅगी?
अभी तुम हो बाल,कोमल,सुकुमार।
कालिया को नहीं दे सकते तुम मार।

सुन मेरे लाल,कालिया विषधर नाग।
सदा  जहर  उगलता रहता है, आग।
जहर से ही , यमुना का काला पानी।
तभी  रोक  रही,न बने कोई कहानी।

मैंया मैं खेलन जाऊॅ,यमुना किनारे।
गोप,गोपिका होंगी,सखियन हमारे। 
नहीं  खेलन जाने दूॅगी, तुम्हें  प्यारे।
तुम हो यशोदा, नंद के परम दूलारे।


स्वरचित बालगीत 
गीता पाण्डेय, रायबरेली,उत्तर प्रदेश

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