हिंदी पर कविता...बृंदावन राय सरल सागर मप्र...छंद....
आन बान शान देह स्वांस हैये देश की/
देश को सँवारने मेंइसका योगदान
है//
फूल है ये प्यार है ये नेह है स्वजन को पर/
शत्रुओं को तीर तेग़और कृपाण है//
वीणा पाणि की दया का कवियों को हैप्रसाद/
विधी का हम मानवों को येअनूठा
दान है//
देवनागरी का चीर ओढे है जो मातृभाषा/
चरणों में इसके अब ये विश्व महान है//
Badlavmanch
0 टिप्पणियाँ