कस्बे कस्बे खुल गये ,अँगरेजी स्कूल



कस्बे कस्बे खुल गये ,अँगरेजी स्कूल//
मुरझाने से रोकना ,तुम हिन्दी के फूल//

हिन्दी बिन संभव नहीं,भारत का
उत्थान//
वरना कल तुम ढूढ़ना,अपना
हिन्दुस्तान//

हिन्दी अपनी आन है,हिन्दी अपनीजान//
हिन्दी से ही विश्व में,भारत की पहचान//

    बृंदावन राय सरल
सागर मप्र मोब...७८६९२१८५२५
Badlavmanch

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