विषय -सच झूठ
सच झूठ की दुनिया में कौन किसका हो पाता है
तेरा प्यार ही सच्चा है जो दिल में उतर जाता है।
चूम लेती हूं मैं सुर्ख गुलाब जो दिल को भाता है
हृदय समर्पित करती हूं जब तू दिल में बसाता है।
बंद रखूं आंखें फिर भी तू मुझको नजर आता है
तेरा ही सलोना मुख मेरी पलकों में बस जाता है।
अर्पण मेरा पलछिन तुझ पर न्योछावर हो जाता है
तुझबिन जीवन का मुझे आसार नजर न आता है।
ये चांद फलक पर तेरे बिन अधूरा हो जाता है
पाकर तुझसे चांदनी नूर हर पल ये खिल जाता है।
डॉ रजनी शर्मा चंदा
रांची झारखंड
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