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सुख, सत्कार पाये हर मग में ईश्वर की बेटी का आँचल।
रहे सुरक्षित सदा ही जग में ईश्वर की बेटी का आँचल।।
सत्कर्म सुजनता का आधार यही,
प्रेम से पालन करता है संसार यही
सुख शान्ति भी भरता है परिवार यही,
गुरु रुप है अवनी पर साकार यही।
क्षीर सुधा भरता रग -रग में ईश्वर की बेटी का आँचल।
रहे सुरक्षित सदा ही जग में ईश्वर की बेटी का आँचल।।
दया -धर्म सुकरुणा का कारक यही,
शोक दुख संताप का जारक यही
जन मानस पल -पल सुधारक यही
क्षमा दयामय सबका तारक यही
बुध्दि विवेक भी भरता अज्ञ में ईश्वर की बेटी का आँचल।
रहे सुरक्षित सदा ही जग में ईश्वर की बेटी का आँचल।।
यही सिखाता सबको मिठे बोल सदा,
श्रध्दा भाव से अन्तः पट को खोल सदा।
राज खुशियों का देता टटोल सदा,
इसकी महिमा जग बिच अनमोल सदा।
सदा समर्पित सेवायज्ञ में ईश्वर की बेटी का आँचल।
रहे सुरक्षित सदा ही जग में ईश्वर की बेटी का आँचल।।
करनेवाला सृष्टि का बिस्तार यही,
सभी अनूठा बचपन का रखवार यही।
जग में करता है अमित उपकार यही,
शीश झुकाते आ करके करतार यही।
सुचि स्वर्ग है "बाबूराम कवि "ईश्वर की बेटी का आँचल।
रहे सुरक्षित सदा ही जग में ईश्वर की बेटी का आँचल।।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -८४१५०८
मो०नं०-९५७२१०५०३२
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प्रकाशनार्थ
On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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