*स्वरचित रचना*
तू साथ है तो
मैं क्या चाहू।
मैं तो केवल
तुझको ही ताकू ।।
यू सुध लू तुझको।
भला क्या लेना।
औरो से मुझको
तेरे जुल्फों को देख।
अपने नयनों को लू जरा
जीभर कर शेक।।
तेरा ही नाम जपू।
ना और कुछ जहां में
तुझसे अपनी हर बात कहू।
तुझसा मिल भी जाए।
किन्तु बेहतर होगा
जो तू ही मिल जाये।।
प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार
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