लुटे बैठे हैं बेजां हम,
तुम्हें कुछ हम बताते तो।
क्यों ऐसे होंठ सी बैठे,
कभी तुमसे जताते तो
वो होठों की खामोशी थी,
जो मुझको हर पल जलाती है।
तेरे पहलू में बस जाते,
ज़रा सा मुस्कुराते तो।
लुटे बैठे हैं बेजां हम,
तुम्हें कुछ हम बताते तो।
अनुराग बाजपेई (प्रेम)
८१२६८२२२०२
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