नमन वीणा वादिनी
दिनांक---30/08/2020
विषय --आशा का परचम लहरा
बिधा--कविता
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अंधेरे का दीपक बुझा कर,
उजालों का दीपक जलाना होगा।
निराशा के अंधकार को छोड़,
आशा का परचम लहराना होगा।
बाधाएं तो आएंगी राह में,
उनमें पुष्प बिछाना होगा।
कदम ना डगमगाने पाए,
अपने लक्ष्य को पाना होगा।
आशा का परचम लहराना होगा।
रात अंधेरी ही होती है,
सुबह का सूरज बनना होगा।
कृष्ण बनकर इस दुनिया को,
गीता का पाठ पढ़ाना होगा।
आशा का परचम लहराना होगा।
जो आज अधूरा छूट गया,
उसे कल बेहतर बनाना होगा।
रोशनी की उम्मीद ना छोड़ना,
सवेरे को स्वर्णिम बनाना होगा।
आशा का परचम लहराना होगा।
स्वरचित ---नीलम डिमरी
चमोली,,,, उत्तराखंड
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