प्रसिद्ध कवयित्री गीता पांडेय जी द्वारा रचित 'सपना' विषय पर कविता

दिनांक-22/08/2020
विधा-कविता 
विषय-ख्वाब/स्वप्न/सपना
प्रकृति-स्वरचित 

                *सपना*
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सपना का होता है एक अद्भुत संसार।
वेद,पुराण, नीति व विधि के अनुसार। 
रंक बनता राजा , राजा हो जाता रंक।
राजा होता सशंक,रंक होते है निशंक।

सपना में तो मनुष्य, रहता है हतप्रभ।
कही उद्भव,कही पतन रहता आरम्भ। 
नींद खुलते ही,सब हो जाता यथावत।
सपना,अपना नही होता,  है कहावत।

पूर्व राष्ट्रपति, अब्दुल कलाम का मत।
जग कर सपना, पूरा करने में हो  रत।
जगे में जो भी इंसान,देखता हैसपना।
उसी को पूरा करके,बना लेता अपना।

संकल्प सिद्धि ही तो ,  सपना का रुप।
सोये में जो देखता सपना,रहताहै चुप। 
उठो,जागो, सपना का बनाओं स्वरुप।
उसी से तो बन सकता है,रंक भी भूप।

स्वरचित कविता 
गीता पाण्डेय, रायबरेली,उत्तर प्रदेश

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