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जन्मभूमि लौटत रघुराई ।
अवधपुरी खुशियाँ फिर छाई ॥
जगमग जगमग दीप जले हैं ।
राम लखन सिय साथ चलें हैं ॥
मात सरयू हर्षित मन लाई ।
नर नारी सब मंगल गाई ॥
पांच शतक बाद भोर भयो है ।
पुलकित मन चहुँओर भयो है ॥
नगर डगर रामहि धुन बाजे ।
शबरी प्रेम थाल सब साजे ॥
चुन चुन प्रेम सुधा छलकाई ।
आरति करत प्रेम मन लाई ॥
प्रभु आज निज धाम पधारे ।
दशरथ नन्दन राज दुलारे ॥
निरखत प्रभु मनहि मुस्काई ।
हर भक्त मन प्यास बुझाई ॥
विशाल चतुर्वेदी " उमेश "
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