💥अग्निदेवता💥
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सारे संसार की अद्भुत शक्ति,
नही बिना अग्नि-देवता के भक्ति।
पलभर में हर लेते जीवन,
एक चिंगारी आग लगाती।
पल में सब जलकर स्वाहा,
शुभ-अशुभ दोनों की शक्ति।
ठहरे जीवन मानव का जब,
करे ना अग्नि-देव की भक्ति।
पल में जलकर सबकुछ स्वाहा,
जब अग्नि देवता हो आक्रोशित।
एक अग्नि बुभुक्षा की जो,
जलाती बुद्धि-विवेक आसक्ति।
बिना अग्नि के बनता ना भोजन,
मौजूद भले हो सारे अन्न-धन।
विवाह ना,पूजा-पाठ आयोजन,
जब चिंगारी आग लगाती
पल में सब जलकर स्वाहा।
एक अग्नि मन में आग सुलगाती,
पर-ईष्या के अग्निकुंड में।
बिन चिंगारी जलता मानव,
पर-सुख की पीड़ा की अग्नि।
राग-द्वेष में करता तांडव,
तपन होती बड़ी भयानक।
पीड़ित मानव बनता दानव,
शनै-शनै जलता है जीवन।
बदले की ज्वाला में जलकर,
बनता मानव एक विध्वंसक।
बुनता छल-कपट और हिंसा का,
रोज नया एक जाल भयानक।
माचिस की तीली सा जलकर,
जलाए सारा विश्व अचानक।
एक चिंगारी आग लगाती,
पल में सब जलकर स्वाहा।
🌹समाप्त🌹 स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय
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