कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'व्यक्तित्व' विषय पर रचना

❤️व्यक्तित्व❤️
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मैनें देखा दुनियाँ में कुछ लोग,
व्यक्तित्व के दोहरे होते है।
घर मे करके शोषण नारी का वे,
बाहर ब्यक्तित्व निखारा करते है।
सृजन किया एक नारी ने जिनका,
उस नारी को पैरों तले कुचलते है।
नारी की छीन अस्मत को वे,
अपनी किस्मत का सौदा करते है।
छद्मरूप धारण करके समाज में,
सुन्दर व्यक्तित्व दिखाया करते है।
दोहरे चरित्र के पीछे अपनी क्रूरता,
का मुखौटा लगाए फ़िरते है।
दबाकर अस्तित्व नारी का घर मे,
नारी पर हिंसा किया करते है।
बाहर देते नारी-मुक्ति का भाषण,
घर के अंदर नारी का शोषण।
एक इंसानियत का भ्रमजाल पहन,
जग को बातों से भरमाया करते है!
मैनें दुनियाँ में ऐसे व्यक्तित्व भी,
शैतानों के रोज-रोज ही देखे है।
बाहर बनते सज्जन पुरुष और,
घर मे पाश्विकता को लज्जित करते है।
मैनें देखा इन आँखों से उनको,
कैसी बेदर्दी से नारी को सताया करते है।
घूम-घूम कर दुनियाँ में अपना,
अलग व्यक्तित्व दिखाया करते है।

❤️समाप्त❤️
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
कवयित्री-शशिलता पाण्डेय

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