हमको ना ऐसे , सताया करो तुम।
हमें छोड़ करके ,न जाया करो तुम।।
कान्हा तुम्हारी ,हूं मैं तो दीवानी ।
कभी न ये मुरली ,बजाया करो तुम।।
तुम्हें ढूंढती है, ये मेरी निगाहें ।
यमुना किनारे ,आ जाया करो तुम।।
मुझे अब तो सखियां, भी मारे हैं ताना।
मुझे अब न राहों में ,छेड़ा करो तुम।।
गैया चलाने को ,जाते हो बन में।
कभी मेरे घर भी,आ जाया करो तुम।।
बंशीधर शिवहरे
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