*भोले शंकर*
भोले शंकर ओ भोले शंकर
दे-दे तू हमें ऐसा कोई मंतर
मन में पाप रहे ना कोई
दिल में मैल रहे ना कोई
भोले शंकर ओ भोले शंकर
रहें यहां सब मिलजुल कर
निर्भया बने ना बेटी कोई
अपने संस्कार-संस्कृति छोड़े ना कोई
भोले शंकर ओ भोले शंकर
करता नहीं किसी में तू कोई अंतर
बेईमानी करे ना कोई
अत्याचार करे ना कोई
भोले शंकर ओ भोले शंकर
ऐसा हो ये जग सागर।
रचनाकार:- शैलेन्द्र सिंह शैली
महेन्द्रगढ़, हरियाणा
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