कविता #राधा अष्टमी विशेष#कवयित्री प्रीती शर्मा असीम#हिमाचल प्रदेश

राधा - कृष्ण

हम जब अपने ,
अस्तित्व से ऊपर हो ।
अपना साक्षात्कार पा जाते है।

ईश्वर आधाररूप प्रेम हो जाते है।
उस क्षितिज बिंदु पर,राधा हो जाते है।

जब समर्पित हो जाते है,
 प्रेम का आसित्व हो जाते हैं ।
वो प्रेम में रमे ,
हृदय राधा  हो जाते है।

जो ध्येय को समर्पित हो,
ध्यान पा जाते है।।
उसी में एकीकार हो , 
राधा कृष्ण, 
कृष्ण राधा हो जाते हैं।
स्वरचित  रचना प्रीति शर्मा असीम 
नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ