6/8/2020
स्वरचित रचना
कविता -भारत अब जीतने चला है।
भारत अब जीतने चला है।
अपना भाग्य बेहतर लिखने चला है।।
यू तो अब भी है आस्तीन के सांप।
किन्तु उन साँप को मिटाने चला है।।
अब डर नही एकता को बढ़ाने में।
अपने देश को सर्वश्रेष्ठ बनाने में।।
अब अन्याय को मिटाकर यारों
राम राज्य का सूर्योदय होने चला है।।
आज खड़ा हिमालय मुस्कुरा रहा।
लालची बईमान अब घबरा रहा।।
भारत नए सदी में फिर से अपना
पुराना अस्तित्व समेटने चला है।।
ह्र्दय से नमन है उनको जो
अविचल होकर इस पथ पर बने रहे।।
कतरा कतरा बहा दिया किन्तु
बहादुर से है जो सदैव लड़े।।
आसमाँ भी यही कहता
आओ भगवा का सम्मान करें।
हिन्द के वासी में जो हिंदुत्व है
आओ उसको पहचान करे।।
जनमानस में स्वछंद होकर
उन विरो के सहयोग को
अब भारत सहेजने चला है।
कलाम हो अटल हो तो
भारत का बढ़ना तय है।
फिर से नारी में सुषमा
प्रतिभा गढ़ना तय है।।
कोई संदेह नही इसमें।
अब इनके अतुल्य साहस से
भारत नव इतिहास
अब लिखने चला है।।
प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार
9560205841
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