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शीर्षक - राष्ट्र स्वर की राष्ट्र गर्जना -
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम् की हुंकार
धरा गगन में छा जाये ,
भारत माता की जय-जयकार
हम प्रखर तेज के साधक ,
हैं अतुल शक्ति के आराधक
संयम अनुशासन में रहकर ,
कर सकता हूं अरि की छाती
क्षार-क्षार
धरा गगन में छा जाये ,
भारत माता की जय जयकार
अपनी थाती पर गौरव है ,
है सत्य आचार विचार
कंटक सारे नष्ट करेंगे ,
ले कर राष्ट्र भक्ति का ज्वार
धरा गगन में छा जाये ,
भारत माता की जय जयकार
राणा शिवा का रक्त हमारी ,
रग रग में लहराये 🔥
राम कृष्ण का आदर्श हमारे ,
❤️ मन मंदिर गहराये
हम भागीरथ की संतानें ,
गंगा धारा पर लाये
सत्य धर्म की रक्षा में ,
जहां हरिश्चन्द्र बिक जाये
घमंड तोड़ने सागर का ,
अगस्त्य जिसे पी जाये
जहां शबरी के झूठे बेर ,
राम ने चाव से खाये
हाथ में हाथ मिला कर ,
❤️ हृदयों में स्नेह जगा कर
बहायें सुरभि पवन की ,
सत्य सनातन धार
धरा गगन में गूंजे ,
भारत माता की जय-जयकार
वैभव शिखर का हम ,
🌹 ध्येय लक्ष्य सदा रखेंगे
श्रेष्ठ कर्म के हम ,
डग सदा भरेंगे 🌹
जब तक श्वासों में ,
हमारे प्राण रहेंगे
हम तेरी अर्चना करेंगे ,
हम तेरी वंदना करेंगे
राष्ट्र स्वर की राष्ट्र गर्जना से ,
चंन्द्र - जाग उठे संसार 🌞
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् ,
वन्दे मातरम् की हुंकार
धरा गगन में छा जाये ,
भारत माता की जय जयकार
जय जयकार जय जयकार....
चंन्द्र प्रकाश गुप्त (चंन्द्र)🌕
अहमदाबाद - गुजरात
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